गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

अंग्रेजी नव वर्ष

हमारा नववर्ष तो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को आता है, लेकिन जो इस अंग्रेजी नव वर्ष को मानते हैं, उन्हें मैं नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं देता हूँ. वैसे मैं समझता हूँ कि हमें प्रत्येक दिन को आगामी एक वर्ष का पहला दिन मानना चाहिए. लेकिन तथाकथित नववर्ष के अवसर पर हुड़दंग  करना उचित नहीं है. यदि मनाना ही है तो शालीनता के साथ मनाना चाहिए. साथ में मिलकर सात्विक भोजन करें और नए वर्ष में कुछ अच्छा करने का संकल्प लें, तो इस तरह के समारोह सार्थक होंगे, वर्ना यह लकीर पीटने से अधिक कुछ नहीं है.

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

पारिवारिक मिलन

जब से हम सभी भाई  अलग-अलग शहरों में रहकर नौकरी करने लगे हैं तब से ऐसे मौके हमारी जिंदगी में कम ही आते हैं जब हम सभी भाई-बहिन एक साथ हों. इनमें ऐसे मौके तो और भी कम होते हैं जब हम सबके परिवार भी एक साथ हों. ऐसा केवल किसी पारिवारिक समारोह में या बड़े त्यौहार के अवसर पर ही हो पाता है. ऐसा ही एक दुर्लभ क्षण इस दीपावली पर आने वाला है जब हम सबके सभी बच्चे भी साथ-साथ होंगे. इस बार दीपांक और आँचल (चिंका) पुणे से,  साहिल (सनी) बंगलोर से और रचित (मनु) दिल्ली से आ रहे हैं. हम लखनऊ से जा रहे हैं. बाकी आगरा में ही हैं. ऐसा ही एक दुर्लभ से भी दुर्लभ अवसर जनवरी 2012 में डा. शिल्पी की शादी के समय आने वाला है.
जब हमारे बच्चे दो-चार घंटों के लिए साथ होते हैं तो मिलकर बहुत खेलते हैं और मस्ती करते हैं. उनको साथ-साथ खेलते देखकर दिल को बहुत ठंडक पहुंचती है. जब कुछ घंटे साथ रहने के बाद वे अलग होते हैं तो बहुत रोते हैं. यह देखकर हमारी छाती फट जाती है. पापी पेट की खातिर हमें दूर-दूर रहना पड़ता है. वरना कौन अपने जन्म स्थान को छोड़ना चाहता है? 
पारिवारिक व्यवस्था का  महत्त्व ऐसे ही अवसरों पर पता चलता है. पारिवारिक व्यवस्था हमारी संस्कृति की एक महान देन है. अन्य संस्कृतियों में जहाँ इसका बहुत छोटा रूप देखने को मिलता है, वहीँ भारत में इसके उदाहरण आम हैं. इस पारिवारिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देने के प्रयास भी किये गए हैं, परन्तु अभी तक इसका अस्तित्व विद्यमान है और जब तक भारतीय संस्कृति है तब तक बना रहेगा, भले ही आर्थिक कारणों से यह व्यवस्था धूमिल पड़ गयी हो. 



शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

महरी वंदना

हे महरी देवी नमस्कार !
तुमने घरों से नहीं किन्तु झाड़ू बर्तन से किया प्यार!
हे महरी देवी नमस्कार !!

हे देवी नित्य सवेरे ही दर्शन दे हमें उठाती हो.
दरवाजा खुलते ही मुख पर मोहक मुस्कान खिलाती हो.
जिस दिन न तुम्हारे दर्शन हों, बीबीजी को आये बुखार !
हे महरी देवी नमस्कार !!

जब तक तुम नहीं आती हो बर्तनों का ढेर चिढ़ाता है.
रसोई में पड़ा हुआ कूड़ा चूहों को भी ललचाता है.
तुम्हारे हाथों को छूते ही गायब हो कूड़े का अम्बार!
हे महरी देवी नमस्कार !!

छुट्टी का तुम नाम न लो, दिल की धड़कन बढ़ जाती है.
जुकाम तुम्हें होता है तो सबको जूड़ी चढ़ जाती है.
तुम स्वस्थ हमेशा बनी रहो, दया करे परवरदिगार!
हे महरी देवी नमस्कार !!

शनिवार, 3 सितंबर 2011

चेहरे पर दाग और दर्पण पर गुस्सा

हमारे 'माननीय' सांसद हाथ धोकर टीम अन्ना के पीछे पड़ गए हैं. उनकी गलती बस इतनी है कि उन्होंने इन महोदयों को आइना दिखा दिया है. अब ये सज्जन टीम अन्ना को सबक सिखाना चाहते हैं. संभव है कि वे उनको जेल भेज दें. आखिर साडी ताकत उनके ही हाथ में है. लेकिन उस जनता को कैसे रोकेंगे जो उन्हें दिन रात गालियाँ देती है ? क्या यह अच्छा न होता कि वे दर्पण को  कोसने के बजाय अपने दागों को दूर करते?

कुछ पंक्तियाँ पेश हैं

                          मैंने समझा था कि मेरे चेहरे पे नूर होगा
                          किसे पता था कि आईने से ये  भरम दूर होगा
                          दिखा दिए हैं मेरे चेहरे के दाग इसने 
                          ये कमबख्त आइना कब चूर चूर होगा

रविवार, 14 अगस्त 2011

चुप रहो, आज १५ अगस्त है!

देश की जनता समस्याओं से बुरी तरह त्रस्त है,
चुप रहो, आज १५ अगस्त है!

सबको  मिली हुई है पूरी आजादी
अधिकारियों को मनमानी की
नेताओं को खींचातानी की
व्यापारियों को खुलकर लूटने की
पुलिस को जमकर पीटने की

जनता तो लुटने-पिटने की अभ्यस्त है,
                           चुप रहो, आज १५ अगस्त है!

हर तरफ फैला हुआ है भारी भ्रष्टाचार 
सामने खड़े हैं समस्याओं के पहाड़
बजबजाती नालियां, कूड़े के अम्बार
सड़कों पर सूअरों का उन्मुक्त विचरण 
दुर्लभ हैं बिजली और पानी के दर्शन 

नगर निगम अतिक्रमणों के नाम पर वसूली में मस्त है
                          चुप रहो, आज १५ अगस्त है!

बेरोजगारों की बढती हुई फ़ौज 
चारों तरफ है माफिया गिरोहों का राज
प्यासी है धरती, खाली हैं किसानों के पेट
रोज बढ़ते जा रहे हैं जरूरी चीजों के रेट 

सरकार वोटों की फसल उगाने में व्यस्त है
                         चुप रहो, आज १५ अगस्त है!

सोमवार, 8 अगस्त 2011

अथ

ये मेरा पहला ब्लौग है इसमें मैं आपसे कुछ दिल की बातें करूंगा. आप भी अपनी भावनाओं से मुझको  जरूर अवगत कराएं.